भारत एक तरफ तो भ्रष्टाचार से झुझ रहा है वही दूसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण
एक विकट समस्या का रूप लेते जा रहा है। भ्रष्टाचार की जटिलता के साथ साथ
हमे अपने पर्यावरण को भी स्वच्छ करना होगा। जिस तरह जलवायु परिवर्तन हावी
हो रहा है हमे इस आपदा से बचने के लिए अपनी नदियो, जंगलों, और पहाड़ों को
बचाना ही होगा। समिति पिछले ६ वर्षों से लगातार गंगा जी को स्वच्छ रहने
के लिए प्रयासरत है और अनेक प्रयाशों मे सफलता भी प्राप्त हुई है। हाल ही
मे हुए लखनऊ कान्वेंसियन मे उठी मांगो मे से “नदी घाटी क्लाइमेट चंगे
पॉलिसी” सरकार के विचारधीन है। परन्तु अभी और प्रयाश की अवश्क्ता है अतएव
भारतीयम विज्ञान समिति ने गंगा के नाम पर वर्षो से हो रहे भ्रष्टाचार व
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए “समग्र चिंतन” बैठक बुलाने का विचार कर
रही है। सेवाग्राम मे मौजूद सभी भाइयो का यह मत था कि गंगा को बचाने के
लिए अब गांधी को ही आना पड़ेगा।
समिति उन सभी गांधी विचारको से आग्रह करती है कि गंगा को साफ करने के लिए
एक जुट प्रयाश शुरू करे।
सत्येंद्र त्रिपाठी
संस्थापक, भारतीयम विज्ञान समिति
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